2009
बच्चों की मनोरंजक कहानियां
श्री राकेश चक्र
बरेली
 
2009
दादी कहो कहानी
श्रीमती आशा शैली
लालकुऑं
 
2009
जंगल की कहानियॉं
श्री अंजीव रावत
आयराखेड़ा



                    पं. हर प्रसाद पाठक-बाल साहित्य पुरस्कार समिति, मथुरा द्वारा
                   देश के छः बाल साहित्यकार पुरस्कृत तथा दो पुस्तकों का विमोचन
                मथुरा(12 अक्टूबर 09) बच्चों के मानसिक विकास हेतु बाल पत्र-पत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है विशेषकर आज जब घर-घर में दूरदशन का कुप्रभाव बच्चों को प्रभावित कर रहा है ऐसे में बाल साहित्यकार का दायित्व और भी बढ़ जाता है, मुझे मथुरा वासियों से विषेश स्नेह है, और मेरा यहाँ बार-बार आने को मन करता है,’’उक्त विचार कानपुर से पधारे बाल साहित्य के पुरोधा, प्रसिध्द बाल साहित्यकार एवं बाल साहित्य समीक्षा के संपादक डाॅ राश्ट्रबन्धु ने आर.बी.एस.नेषनल पब्लिक स्कूल सारंग विहार में पं. हर प्रसाद पाठक-बाल साहित्य पुरस्कार समिति, मथुरा के तत्वावधान में आयोजित सम्मान समारोह में विषिश्ठ अतिथि के पद से व्यक्त किए
                कार्यक्रम के अध्यक्ष बाल साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक एवं सीनियर सैकेण्डरी विद्यालय अषोक नगर दिल्ली के प्राचार्य डाॅ. जगदीष व्योम ने माँ सरस्वती के चित्र पर तथा पं.हरप्रसाद पाठक के चित्र पर विषिश्ठ अतिथि डाॅ राश्ट्रबन्धु ने माल्यार्पण किया तदोपरान्त डाॅ रमाषंकर पाण्डेय ने माँ सरस्वती की वन्दना की, फिर अतिथि साहित्यकारों का माल्यार्पण करके स्वागत किया गया, अतिथियों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष सूबेदार मेजर श्री षिवदयल पाठक ने तथा संस्था का परिचय संस्था सचिव डाॅ दिनेष पाठकषषिने प्रस्तुत किया, कार्यक्रम का सफल संचालन प्रसिध्द गजलकार एवं रीडर षोध निदेषक डाॅ अनिल गहलौत ने किया,
                कार्यक्रम के प्रथम चरण में पं. हर प्रसाद पाठक-बाल साहित्य पुरस्कार समिति, मथुरा की ओर से 6 बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया, जिनमें 2008 के चयनित लेखकों। में डाॅ. मधु भारतीय(गाजियाबाद) को उनकी पुस्तक ‘‘चिड़िया उड़ी फुर्रके लिए पुरस्कृत किया गया।, श्री कृश्ण षलभ (सहारनपुर) को उनकी पुस्तकटिली-ली-झर्रके लिए और श्री मु.अरषद खान(बाराबंकी) को उनकी पुस्तक‘‘किसी को कहना मत’’के लिए पुरस्कृत किया गया। एवं वर्श 2009 के लिए जिन लेखकों को सम्मानित किया गया उनमें, श्री राकेष चक्र (बरेली) को उनकी पुस्तक -‘बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ’, के लिए, श्रीमती आषा षैली(लालकुँआ) को उनकी पुस्तकदादी कहो कहानी’’ के लिए और श्री अंजीव रावत (आयरा खेड़ा, मथुरा)को उनकी पुस्तक ‘‘जंगल की कहानियाँ’’ के लिए पुरस्कृत किया गया ,
डाॅ. मधु भारतीय एवं उनकी पुस्तक ‘‘चिड़िया उड़ी फुर्रका परिचय, मथुरा के प्रसिध्द साहित्यकार ,समीक्षक श्री मदन मोहन उपेन्द्र ने प्रस्तुत किया,श्री कृश्ण षलभ एवं उनकी पुस्तकटिली-ली-झर्रका परिचय प्रसिध्द मंचीय कवि डाॅ रमाषंकर पाण्डेय जी ने तथा श्री राकेष चक्र एवं उनकी पुस्तक -‘बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ’, का परिचय मथुरा के प्रसिध्द साहित्यकार,समीक्षक, इंजीनियर श्री संतोश कुमार सिंह ने प्रस्तुत किया, श्रीमती आषा षैली एवं उनकी पुस्तकदादी कहो कहानी’’ का परिचय मथुरा के प्रसिध्द साहित्यकार, कवि श्री मदन मोहन षर्मा अरविन्द जी ने, तथा श्री अंजीव रावत का परिचय  मथुरा के प्रसिध्द साहित्यकार, गीतकार श्री मुनीष मदिर ने एवं उनकी  पुस्तक ‘‘जंगल की कहानियाँ’’ की समीक्षा बाल साहित्यकार सागर दीप पाठक ने प्रस्तुत की,
                संस्था के अध्यक्ष सूबेदार मेजर श्री षिवदयाल पाठक उपाध्यक्ष पं.प्रभूदयाल पाठक ने संस्था की ओर से सभी पुरस्कृत बाल साहित्यकारों को 501-501 रुपये की धन राषि एवं संस्था सचिव डाॅ दिनेष पाठकषषिने प्रषस्ति-पत्र अर्पण कर सम्मानित किया,
                सम्मानित सभी साहित्यकारों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये,डाॅ. मधु भारतीय(गाजियाबाद) ने कहा कि उन्हें बच्चों के लिए लिखना बहुत भाता है,श्री कृश्ण षलभ (सहारनपुर) ने अपने वक्तव्य में कहा कि हर व्यक्ति अपने आप में कवि होता है और भाव जब अक्षरों में ढलते हैं तो कविता बन जाते हैं, श्री राकेष चक्र (बरेली) ने कहा कि मैंने बच्चों के मनोभावों को समझा, बच्चों से कुछ सीखा, जाना और बाल साहित्य लिखने लगा, श्रीमती आषा षैली (लालकुँआ) ने कहा कि लोक कथाएँ सभी को जीवन से जोड़ती हैं, परन्तु बच्चों पर विषेश प्रभाव डालती हैं,आज के कम्प्यूटर युग में भी बच्चे कहानियाँ सुनना पसंद करते हैं, श्री अंजीव रावत (आयरा खेड़ा, मथुरा) ने कहा कि पहले मैं गजल लिखता था फिर मुझे लगा कि मैं कुछ बच्चों के लिए लिखूँ,सो मैं इस ओर मुड़ गया,
                कार्यक्रम के दूसरे चरण में डाॅ.के.उमराव विवेकनिधि के बाल काव्य संग्रह-‘‘बाल गीतान्जली’’ एवं श्रीमती आषा षैली (लालकुँआ) की पुस्तक-‘‘हमारी लोक कथाएँ’’ के 6 भागों का लोकार्पण डाॅ राश्ट्रबन्धु एवं डाॅ जगदीष व्योम ने किया, पुस्तकबाल गीतान्जली’’ का परिचय श्री मदन मोहन षर्मा अरविन्द जी ने प्रस्तुत किया,
                कार्यक्रम में नगर एवं बाहर के साहित्यकार,पत्रकार एवं विद्वानों में दैनिक जागरण के सर्वश्री भोलेष्वर उपमन्यु,गजलकार, षैलेन्द्र कुलश्रेश्ठ,डाॅ.अनिल गहलौत,डाॅ रमाषंकर पाण्डेय,डाॅ अनुज कुमार,,मदन मोहन षर्मा अरविन्द,रामचंद्र षर्मा, मेजर सूबेदार षिवदयाल पाठक,डाॅ ओम षिवराज, सत्येन्दु याज्ञवल्क्य,पं.प्रभूदयालपाठक, मुनीषमदिर, डाॅप्रेमदत्तमिश्र मैथिल,पं. उमाषंकर दीक्षित,सुभाश चंद त्रिपाठी,संतोश कुमार सिंह,चन्द्र प्रकाष षर्मामैथिल’,रमेष चंद भाटिया,मदन मोहन उपेन्द्र एवं कैप्टन एस.डी.राय ,श्रीमती चन्द्रा उमराव, आषुतोश उमराव, अमित,श्रीमती षषि पाठक एवं सागर दीप पाठक, ओमवीर, अमित कुमार, मधु सारस्वत विजय कुमार विविषा की उपस्थिति कार्यक्रम को गरिमा प्रदान करती रही।,अध्यक्षीय भाशण में डाॅ जगदीष व्योम ने कहा कि मैंने बाल साहित्य को इंटरनेट पर डाला है और इसका अच्छा परिणाम देखने को मिल रहा है,कार्यक्रम के समापन पर सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापन संस्था सचिव डाॅ.दिनेष पाठकषषिने किया
                                                                                                                                डाॅ.दिनेष पाठकषषि’ (सचिव)
                                                                                                                                28,सारंग विहार,मथुरा
                                                                                                                               .